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पुरानी एल्बम!

पुरानी एल्बम!
पुरानी एल्बम!

मैं बहुत-सी दलीलें दे रहा था उसे रोकने के लिए और अनजान था खुद से कि मैं ऐसा क्यों कर रहा हूं! मेरी दलीलें भी तो अटपटी थी खुद ही की भवनाओं से जुड़ी थी

जिनका जवाब वह तुरंत ही दे पा रही थी, बहुत समय नहीं लगा उसकी जीत और मेरी हार होने में और वो चली गई ।

अधेड़ उम्र की अपनी ही समस्याएं होती है जिंदगी हर पल फिसलती-सी लगती है और एक नई पीढ़ी नजरों के सामने ऐसे खड़ी हो जाती है जो मन को अहसास दिलाती रहती है कि तुम सिर्फ शरीर से नहीं बल्कि बुद्धि से भी बुढे होने लगे हो और अक्सर यह उम्र या तो चिड़चिड़ी हो जाती है या अपने आप में मस्त हो जाती हैं।

मुझ में और उसमें बस यही फर्क था वह चली गई अपनी सहेलियों के साथ कुछ दिनों के लिए इस उम्र का लुत्फ उठाने और मैं 53 साल के शरीर में अपनी चिड़चिड़ाहट के साथ खड़ा रहा। मुझे पता था कहीं ना कहीं मेरे लिए कुछ रख कर गई होगी और इस उम्मीद से मैंने अलमारी खोली तो पुरानी फोटो अल्बम के साथ मेरी पसंदीदा वाइन की बोतल रखी थी और एक कोरे कागज पर लिखा था..

ये जीवन है इस जीवन का यही है यही है रंग रूप…

एक मुस्कुराहट मेरे चेहरे पर फुदक कर बैठ गई और उस पुरानी-सी एल्बम के फोटो में खुद को जवान देखकर मुझे कुछ अच्छा महसूस हुआ।


रुचि हर्ष

लेखिका और लाइफ कोच






 
 
 

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