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आम के गुच्छे



हमारे इर्द-गिर्द कितने ही किस्म के पेड़-पौधे लगे हुए हैं गमलों में, सड़कों के किनारे, गलियों में जहां नज़र घुमाओ वही दिख जाते हैं। वैसे मैंने महसूस किया है कि गुजरात में बहुत अधिक हरियाली है , सूरत (गुजरात का एक शहर) में तापती नदी का आशीर्वाद दूर-दूर तक धरती पर पेड़ पौधों के रूप में दिखाई दे जाता है। सुबह-सुबह मैंने अक्सर यह भी देखा है कुछ लोग अकेले शहर करना पसंद करते हैं और कुछ साथी के और कुछ तो बहुत सारे ग्रुप के साथ सुबह की सैर करते हैं । मै अकेले ही करना पसंद करती हुं क्योंकि कोई का साथ मेरे और कुदरत के बीच में आ जाता है जो कि मुझे कुछ खास पसंद नहीं है, एक शांत प्रेम जो कुदरत के साथ चलने में बहता है तो मन स्वत़ ही मगन हो जाता है....

फिर एक दिन यह हुआ कि रास्ता तो वहीं था जहां रोज सुबह टहलने निकलती हूं अचानक मेरी नज़र पेड़ पर लगे आम के ऊपर पड़ी, अचानक लगा कि आम का पेड़ यहां कितने दिनों से चुपचाप खड़ा था पता ही नहीं चला और तो और उसे देख मेरे मन का लालच और बचपन बाहर आ गया बचपन मांही मन हंसने लगा और लालच खिसियानी बिल्ली की तरह कुछ नहीं कर पाया हाथ मलता आगे बढ़ गया । हां, एक एहसास मन में उठा हरी पत्तियां और लंबाई पेड़ है या पौधा इसका एहसास तो करा पाती है पर उस पर फूल फल या सब्जीयां आते हैं तब असल में उसके अस्तित्व को अलग मायने मिलते हैं ।

टहलते-टहलते सोच रही हूं कि मेरी असली पहचान क्या है…

 
 
 

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