आंकलन (evaluation)
- Ruchi Aggarwal
- Aug 11
- 3 min read

अक्सर हमारा अवचेतन मन जिसे इंग्लिश में subconscious mind कहते है जिंदगी में हर चीज का आंकलन( evaluation ) सिर्फ पैसे से कर रहा होता है और लगभग हर समय खुद के ही अंदर एक युद्ध स्थिति (challenge ) बनाता रहता है । फिर वहां से बहुत सारी ऊर्जा लेकर पैसा कमाने के लिए हर रोज उठता है और इस सोच , और जमा - घटा , जीत- हार के अंदर ही रात हो जाती है ।
कभी-कभी तो पूरी जिंदगी मन के भीतर एक युद्ध चलता ही रहता है और बस यही सोचता रहता है-'क्या खाया और क्या पाया' The Person Feel Stress All the time .
ये सच है पैसे से हमारी बहुत ज़रूरतें पूरी होती है ,sense of security भी मिलती है और मदद करने के लिए भी हमारे हाथ सशक्त बनते हैं, पर फिर भी मन में कहीं न कहीं एक खाली कोना जो उस पैसे वाले आंकलन से परे है उसे हमेशा छोटी-छोटी चीजों से, छोटी-छोटी आदतों मे सुख मिलता है। और वही कोना उस युद्ध वाले दिमाग को जागृति awareness देता है।
कुछ लाइनें इसी एहसास को दिखाती हुई-
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मै बड़ी सस्ती हुँ
मैं एक किताब हूं.…
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मैं बड़ी सस्ती हूँ..
सुबह की चाय हूं…
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मैं बड़ी सस्ती हूँ..
बच्चो की गुदगुदी हूं…
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मैं बड़ी सस्ती हूँ
औरत के माथे की बिंदी हूं…
पैसे के नज़रिए से गर देखोगे तो मैं बड़ा सस्ता हुं
मैं घर का बना खाना हूं…
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मै बड़ी सस्ती हूं
I am just a Warm Hug…
पैसे के नजरिये से गर देखोगेतो मै बड़ी सस्ती हूं
मैं सुबह की सैर हूं…
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मै बड़ा सस्ता हूं
बचपन का एक किस्सा हूं
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मै बड़ा सस्ता हूं
रात को पहनने वाला घिसा हुआ पैजामा हूं
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मै बड़ी सस्ती हूं
चेहरे की मुस्कान हूं।
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मै बड़ी सस्ती हूं
घर की दहलीज़ हूं…
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मै बड़ी सस्ती हूं
मैं एक लेखिका हूं।
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मै बड़ी सस्ती हुँ
मैं एक किताब हूं.…
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मैं बड़ी सस्ती हूँ..
सुबह की चाय हूं…
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मैं बड़ी सस्ती हूँ..
बच्चो की गुदगुदी हूं…
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मैं बड़ी सस्ती हूँ
औरत के माथे की बिंदी हूं…
पैसे के नज़रिए से गर देखोगे तो मैं बड़ा सस्ता हुं
मैं घर का बना खाना हूं…
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मै बड़ी सस्ती हूं
I am just a Warm Hug…
पैसे के नजरिये से गर देखोगेतो मै बड़ी सस्ती हूं
मैं सुबह की सैर हूं…
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मै बड़ा सस्ता हूं
बचपन का एक किस्सा हूं
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मै बड़ा सस्ता हूं
रात को पहनने वाला घिसा हुआ पैजामा हूं
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मै बड़ी सस्ती हूं
चेहरे की मुस्कान हूं।
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मै बड़ी सस्ती हूं
घर की दहलीज़ हूं…
पैसे के नजरिये से गर देखोगे तो मै बड़ी सस्ती हूं
मैं एक लेखिका हूं।
तो जब भी दिमाग कहे की जिंदगी में सुकून और खुशियां सिर्फ पैसे से ही मिलती है तो दिमाग को कहिएगा अरे!! 'अरे!!! शान्त हो जा, You Are Safe और हां..... तू तो पहले से ही धनवान है इतना भागने की ज़रूरत नहीं है'।
क्योंकि सुबह की चाय का सुकून महंगे कप से नहीं सुबह से है, इसी तरह जिंदगी जीने का मकसद पैसा नहीं 'जिंदगी खुद है' , पैसा तो जरूरत है और जरूरते हम सबको पता है कभी पूरी नहीं होती।
इसीलिए आंकलन पर ध्यान देना बहुत जरूरी है ये आंकलन जिंदगी को खूबसूरत भी बनाता है और इसका उल्टा भी हो सकता है।
जिंदगी तो एक हुनर है
चलो ! मिलकर सीखते हैं
रुचि'हर्ष'
(लेखिका और लइफ कोच)
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