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Comparison

Comparison\ आंकलन ( क्या ठीक क्या गलत!)


हम अक्सर खुद भी कहते है और समझदार लोगों के मुँह से सुनते है भी है

Don't Compare Yourself or Others क्योंकि हम सब unique है right!

पर क्या वाकहि में ऐसा कर पाते है!



जाने अनजाने अपने कपड़ो का, शरीर का, हुनर का, in fact बच्चों का, अपने हालातों का Comparison करते है

और तो और सबसे बडा Comparison जो अक्सर बड़ों के मुँह से सुनते है ‘हमारे जमाने में ये होतो था…’ और वह भी इस तरीके से जैसे वह कह रहे हो जो हमने जिया है वही सही था हैना!

But scientific compare कर के सोचना हमारे दिमाग का ही तरीका है जिसका इस्तेमाल करके वह निष्कर्ष (decision) पर पहुंचना चाहता है ।

इसीलिए दिमाग के Comparison Mode

का इस्तेमाल सही ढंग से करना चाहिए ।

Comparison अगर हमें Motivate करें

अपनी गलतियों को दिखाकर

उन्हे सुधारने के लिए कहे,

या हमें फायदे कि तरफ लेकर जाए तो अच्छा है।

For Example जैसे जब हम कोई सामान खरीदते हैं तो दूसरे Products के साथ Compare करते है जिससे कि हमें फायदा भी हो और चीज भी अच्छी मिल जाए।

So be Mindful When Your Mind Start Comparing चाहे किसी इंसान से,उसके हालात से, समय से चाहे कुछ भी हो ….


Ask Yourself- इस Comparison कि दिशा क्या है?

क्या ये Comparison मुझे Motivate कर रहा है या मुझे हीन भावना (Guilte)

की तरफ लेकर जा रहा है?

इसके फायदे क्या है?


“कुछ सही सवालों से सही जवाब मिल जाते हैं

और जिंदगी की परीक्षा में हम खुद- ब- खुद

पास हो जाते हैं”


अगर दिमाग बेफिजुल के Comparison करके आपको परेशान कर रहा है तो उन 'विचारों' को कहिए ‘आपका यहाँ कोई काम नहीं है जाइए😄 यहां से 'राम-राम' । इस तरीके से You can manage Your Thinking Process & Motivate Yourself.


Ruchi Harsh

Writer & Life Coach 🪷


“जिंदगी एक होना है चलिए मिलकर सीखते हैं”

 
 
 

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